https://diksha.gov.in/play/collection/do_31348459775315968013682?contentI 1. जनसा ं ख्यिकीयि : एक विक्षक िग्भ आकार, आय ु क ले स ं दर्भ में विवििता, सा ं ्क ृ वतक स ं दर्भ, सामाविक आवथि्भ क व्थिवत, वि ं ग, सीमा ं तता, रौगोविक व्थिवत और प्रौद्ोवगकी की उपिबिता/ पह ु ँच पर विचार कर सकता है। 2. स ं ज्ानातमक और प ू र्भज्ान : िै वक्षक ्तर (प्राथिवमक, उचच प्राथिवमक), प ू िा्भ पलेक्षा ज्ान और अन ु रि, अविगम ि ै िी, वडविटि साक्षरता का ्तर, स ं ज्ानातमक क्षमता। 3. रारातमक (उत्ते खजत करन ते राला) : विक्षक और छात्र विक्षा और अविगम, ऑनिाइन अविगम िातािरण, ्िय ं कले प्रवत दृवटिकोण, प्रले रक ्तर, पार्पररक स ं ब ं िों और रुवच क ले क्षलेत्र क ले प्रवत ्िय ं कले दृवटिकोण का आतम वनरीक्षण कर सकत ले हैं; इसविए पढात ले समय छात्रों क ले इन पहि ु ओ ं को समझना महतिप ू ण्भ है। 4. सामाखजक : बचचले की सामाविक-आवथि्भ क व्थिवत सले अिगत होना आिशयक है, प्रौद्ोवगकी का उपयोग करन ले की रणनीवत बच चले कले पास उपिबि ब ु वनयादी ढाँ चले और स ु वििा पर अतयविक वनर्भर करती है। 5. शरीर खरज्ान स ...
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